समाज की इस स्थिति को सुधारने के लिए ही श्री गुरु रविदास जी ने इस जाति में यहाँ पर जन्म लिया था तथा इस जाति पर जुल्म करने या करवाने वालों के खिलाफ देश में हर जगह पर जा कर जुल्म का विरोध किया था। परन्तु हमारी यह जाति आज तक जुल्म करने वालों के जुल्म को रीति रिवाज व त्यौहार मानकर सहती चली आ रही है परन्तु गुरु प्रेमियों बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने कहा है कि जुल्म करने वाले से ज्यादा जुल्म सहने वाला गुनहगार होता है इसलिए हम गुनहगारों को, अपने गुरु व अपने रहबर बाबा साहेब डॉ.मीमराव अंबेडकर जी को जानना चहिए ताकि जुल्म करने वालों के जुल्मों से बचा जा सके ।
गुरु प्रेमियों यह जन्मस्थली व यह बस्ती आज भी सभी सांसारिक सुख सुविधाओं से वंचित है तथा इस जगह का विकास बिलकुल भी नहीं हुआ है। सन् 2022 से पहले तक इस जगह को शहर कॉर्पोरेशन में शामिल नहीं किया गया था तथा सन् 202१ में मण्डुवाडीह रेलवे स्टेशन के नाम को भी बदल कर बनारस कर दिया गया। ताकि इस बस्ती का महत्व ही न रहे।आज भी यहाँ के लोग अति दयनीय हालातों में जीवन जीने को मजबूर हैं। इन्हीं कारणों के चलते इस जन्मस्थली को काफी देर से प्रसिद्धि मिली है।
श्री गुरु रविदास जी ने जब इस स्थान पर जन्म लिया तो उनके प्रसूति कार्य करने वाली दाई के शरीर के सारे कष्ट दूर हो गये थे। जिसके वंश की स्त्रियाँ यहाँ पीढ़ी दर पीढ़ी प्रसूति का कार्य करती चली आ रही हैं। प्रेमलाल उनके वंशज इस मन्दिर की देखरेख कर रहें हैं।
जन्म स्थान के दर्शनआप इस मन्दिर के ऊपर चढ़कर कर सकते हैं। यह प्रबन्धन समिति आपके इस मन्दिर में आने पर आभार प्रकट करती है क्योंकि इस मन्दिर में आने के पश्चात् ही आपकी धर्म नगरी की यात्रा सफल हो पाई है। धन्य हैं वह लोग जो श्रद्धा पूर्वक गुरु रविदास जी के सभी स्थलों की यात्रा करते हैं व अन्तर्मन से श्रद्धा प्रदान करते हैं। धन्य है वह माता-पिता जिन्होने श्री गुरु रविदास जी को जन्म दिया तथा इस नगरी का मान बढ़ाया व समस्त संसार में विख्यात होने का श्रेय दिया।